Modern challenges to an ancient civilization

An interview with Jagadguru Shri Nishchalananda Saraswati ji, Shankaracharya of the Govardhan Math of Puri.

नमस्कार। प्रज्ञता के इस विशेष साक्षात्कार में आपका स्वागत है। गुरु कृपा से हमें यह अद्भुत सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि हम गोवर्धन मठ के शंकराचार्य परमपूज्य जगद्गुरु श्री निश्चलानंद सरस्वती से दो बातें कर सकें। जैसा कि आप जानते होंगे, पुरी का गोवर्धन मठ श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा है और तीन अन्य मठों के साथ इसकी स्थापना ईस्वी सन से लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व स्वयं आदि शंकारचार्य ने की थी। इस प्रकार से निश्चलानंद जी महाराज अद्वैत वेदांत की दार्शनिक परंपरा के संरक्षण और प्रचार के उत्तरदायी हैं। हिन्दुओं के और भारत के प्रमुख धर्मगुरु होने के नाते, हमारी उनसे यह अपेक्षा है कि वे इस कठिन समय में भारतीय समाज का मार्गदर्शन करें। इस कारण हमारे प्रश्न सामाजिक विषयों तक सीमित रहे और स्वाभाविक है की उत्तर आध्यात्म की गहराई से उत्पादित हुए।

We will be transcribing and translating to English the entire interview soon for those viewers who are not familiar with Hindi.

About Author: Pragyata Staff

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